*गौशालाओं का शुद्धि+सफलीकरण*
कालांतर में दूध वाली गौ को गौशाला में रख, कुछ घरों में दूध जाने लगा। धीरे धीरे गौशाला दूधशाला बन गयी। दूधशाला बनते ही मिलावटी नस्ल और रंगीन भैंस बढने लगी। ज्ञात हो कि *इनके दूध में *बीटा कोसो मोर्फिन 7* (BCM-7) नामक जहर होता है जिसके कारण शरीर में अनेक रोग होते है।* नेट पर देखें - *डेविल इन मिल्क*=दूध में दैत्य।
अधिकांश गौशालाओं में रंगीन भैंस बढ़ रही है, बहुत सी जमीन बेकार पड़ी है फिर भी देसी गौ के लिए गौशाला के दरवाजे बंद हैं। किन्तु कुछ गौशालाओं ने देसी गौवंश संबंधी शुभ निर्णय लिया है, कुछ में गोबर से शवदाह हेतु लकड़ी बनने लगी हैं। कुछ ने बाड़ा बना गौ माँ को स्वतंत्रता दी है। कुछ सुन्दर हुई हैं, जिसमें जनता का आना+पार्टियां होने लगीं हैं।
अधिकांश गौशालाएं घाटे में चल रही हैं। लगता है कोई बड़ी भूल हो रही है? तभी समाज से जो दान या बित्ती आती थी वह कम/बंद हो गईं। प्रबंधन, पैसों, कर्मचारियों का आभाव अधिकांश गौशालाओं में है। गोबर में लक्ष्मी का और गौमूत्र में गंगा का वास है, उनका सदुपयोग नहीं हो रहा है। गौ माँ की सेवा नहीं हो रही है। जिन गौशाला में सांड नहीं है= वे विधवाशाला बनी हुई हैं। बंधन के कारण, गौ मां दुखी है। अज्ञानवश लोगों को धर्मादा खिलाने + कृत्रिम गर्भाधान का पाप हो रहा है। जिस दूध की लागत 100 से ज्यादा हो, उसे कम में देना क्या धर्मादा खिलाना नहीं?
*भूलें क्या क्या है? और उसे कैसे सुधारें?*
1) गौशाला का शुद्धिकरण हो। राक्षसी पूतना जैसी जहर पिलाने वाली को बेच केवल देसी गौवंश ही रहे, *यह दृढ़ नीति बने। एक भी विदेसी रही तो बाकी को बिमार कर देगी।*
2) गौशालाओं में पंचगब्य की दुकान खुले। विविध उत्पाद व दवाएं मंगा कर प्रचार हो। जब पर्याप्त बाजार बन जाये तब ही उत्पादन शुरू हो। धार्मिक कार्यक्रमों में इस दुकान का काउंटर लगे। *प्रशिक्षण ले गौशालाएं स्वावलंबी हों।* गोबर से हवन/शवदाह लकड़ी बनने लगे।
3) युवाओं/मातृशक्ति को प्रतिदिन गौशाला आने प्रेरित किया जाये, उनको गौशाला प्रबंधन का दायित्व दिया जाये। बुजुर्ग, वृद्धाश्रम बना वहीं रहें, जप-तप, मार्गदर्शन+गोसेवा करें।
4) गौशाला की भूमि का सुंदरीकरण/सदुपयोग हो। लोग भ्रमण के लिए आने+पार्टियां करने लगें। भूमि की बाउंड्री कर उसमे पेड़, सब्जी, अन्न और घास की खेती हो। आचार्य संजय पंडा 9437580589 से 100 वर्ग फुट में 10000 प्रतिमाह कमाने की कला सीखी जाये।
5) दूध बेचना बंद हो। घी और छाछ बने। छाछ, अतिथियों, छात्रों, बछड़ों, गौ को पिलायी जाये।
6) गौशाला में पंचकुल खुले गोकुल, गुरूकुल, ऋषिकुल (यज्ञशाला) कृषि कुल=वृक्षारोपण, खेती, आरोग्यकुल=अस्पताल, कल्याण मंडप (हाल+कमरे) सप्त गौ परिक्रमा=गौ मंदिर बने। सम्मेलन / समारोह / किसान प्रशिक्षण हो।
7) भोजनालय बने, जिसमे कर्मचारी, छात्रों अतिथियों का भोजन बने।
8) गोबर गैस प्लांट बने। इतनी गैस बने कि आसपास के वाहन उसी गैस से चलें।
9) *गौशाला, मठ-मंदिरों में बंसी/मंत्रों की ध्वनि गूंजे। संत वचन+गौचित्रों के बैनर लगें। हनुमान चालीसा और विश्व गीत का पाठ हो।*
10) गाईड, बैलगाड़ी से गौशाला के सारे स्थान दिखाये। गौ माँ का महत्व भी बताये। किसानों को युवा बैल जोड़ी/गाड़ी किराये पर दी जाये।ईरिक्शा हेतु बैलों की शक्ति से बैटरी चार्ज हो।
11) पंच तत्व शुद्धि का काम सब करें+करायें।
12) गौभक्त 1 गौ से मां का संबंध बनायें।
14) आगंतुकों को गौमूत्र / पंचगब्य पिलायें।
15) गौघट(गुल्लक) धर-दफ्तर-दुकानों में लगें।
16) खाद के बदले भूंसा कार्यक्रम चले।
*जो गौशाला का कायाकल्प करना चाहते हों उन्हें स्वयं कुछ गौशालाओं में जाकर अपनी आंखों से देखना+सीखना चाहिए जैसे पथमेढा गौशाला, सांचौर, जलगांव की अहिंसा तीर्थ, हिसार के पास श्री लाड़वा गौशाला, कोल्हापुर के पास कनेरी मठ गौशाला, शिमोगा में श्री रामचंद्रपुर मठ गौशाला (गौकर्ण तीर्थ), माताजी गौशाला, बरसाना, कलकत्ता पिंजरापोल, चाकुलिया।* गोबर-गौमूत्र संबंधी राजीव भाई के यूट्यूब में व्याख्यान भी सुने।
इन कार्यों को करने के लिए थोड़ा बहुत धन भी लगेगा। कुछ गौशालाओं के पास पहले से काफी फिक्स्ड डिपॉजिट है जिसका सदुपयोग हो। कुछ धन विदेसी पशु को बेच कर, कुछ गौ/भागवत कथा का आयोजन कर, कुछ नया चंदा, युवा टीम एकत्र कर लेगी। जहां चाह वहां राह। *सभी गौशालाएं स्वावलंबी और टकसाल बने। इसी शुभकामना के साथ।*
सुदर्शन ढंढारिया 8240953884
*राष्ट्रीय अहिंसा मंच (राम)*
बार्डर मैटर
"मैं गौरक्षक 'राम' को वोट दूंगा" संकल्प लें + दिलायें। इस मंत्र का जप करें।
'राम' के पास राम राज्य की परिभाषा और रोड मैप तैयार है। उसे जानें।
जलामृत डाल जल तत्व, नवग्रह धूप चेतन कर वायु और पृथ्वी तत्व, बलिवैश्वदेव हवन कर अग्नि और आकाश तत्व शुद्ध करें।
"जिस राष्ट्र में गौ माँ सुखी +सुरक्षित है, उस देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है।" - भीष्म पितामह, शांति पर्व, महाभारत।
*सभी गौशालाएं स्वावलंबी+टकसाल बने*
भारत में पहली गौशाला के निर्माण *महर्षि दयानंद सरस्वती* ने रेवाड़ी नरेश से कराया था। इससे पहले धर-घर में गौपालन होता था। अनेक राजाओं - सेठों के पास तो लाखों गौवंश था। *भारत में दूध-दही की नदियाँ बहा करतीं थीं। दूध और गौ, कोई बेचता न था। दूध बेचना, पुत्र बेचने के समान पाप समझा जाता था*। हां, घी और छाछ हर घर में बनता था। घी के दाम से पर्याप्त लाभ मिल जाता था। गरीब बूढे़ गोवंश नहीं पाल पाते थे। उनके पालन के लिए हमारे पूर्वजों ने जमीन दान दे, गौशाला का निर्माण करवाया था। पिंजरापोल शब्द का अर्थ ही बूढ़ा गौवंश होता है। आज क्या गौशालाओं में केवल ऐसे ही गौवंश का पालन हो रहा है?कालांतर में दूध वाली गौ को गौशाला में रख, कुछ घरों में दूध जाने लगा। धीरे धीरे गौशाला दूधशाला बन गयी। दूधशाला बनते ही मिलावटी नस्ल और रंगीन भैंस बढने लगी। ज्ञात हो कि *इनके दूध में *बीटा कोसो मोर्फिन 7* (BCM-7) नामक जहर होता है जिसके कारण शरीर में अनेक रोग होते है।* नेट पर देखें - *डेविल इन मिल्क*=दूध में दैत्य।
अधिकांश गौशालाओं में रंगीन भैंस बढ़ रही है, बहुत सी जमीन बेकार पड़ी है फिर भी देसी गौ के लिए गौशाला के दरवाजे बंद हैं। किन्तु कुछ गौशालाओं ने देसी गौवंश संबंधी शुभ निर्णय लिया है, कुछ में गोबर से शवदाह हेतु लकड़ी बनने लगी हैं। कुछ ने बाड़ा बना गौ माँ को स्वतंत्रता दी है। कुछ सुन्दर हुई हैं, जिसमें जनता का आना+पार्टियां होने लगीं हैं।
अधिकांश गौशालाएं घाटे में चल रही हैं। लगता है कोई बड़ी भूल हो रही है? तभी समाज से जो दान या बित्ती आती थी वह कम/बंद हो गईं। प्रबंधन, पैसों, कर्मचारियों का आभाव अधिकांश गौशालाओं में है। गोबर में लक्ष्मी का और गौमूत्र में गंगा का वास है, उनका सदुपयोग नहीं हो रहा है। गौ माँ की सेवा नहीं हो रही है। जिन गौशाला में सांड नहीं है= वे विधवाशाला बनी हुई हैं। बंधन के कारण, गौ मां दुखी है। अज्ञानवश लोगों को धर्मादा खिलाने + कृत्रिम गर्भाधान का पाप हो रहा है। जिस दूध की लागत 100 से ज्यादा हो, उसे कम में देना क्या धर्मादा खिलाना नहीं?
*भूलें क्या क्या है? और उसे कैसे सुधारें?*
1) गौशाला का शुद्धिकरण हो। राक्षसी पूतना जैसी जहर पिलाने वाली को बेच केवल देसी गौवंश ही रहे, *यह दृढ़ नीति बने। एक भी विदेसी रही तो बाकी को बिमार कर देगी।*
2) गौशालाओं में पंचगब्य की दुकान खुले। विविध उत्पाद व दवाएं मंगा कर प्रचार हो। जब पर्याप्त बाजार बन जाये तब ही उत्पादन शुरू हो। धार्मिक कार्यक्रमों में इस दुकान का काउंटर लगे। *प्रशिक्षण ले गौशालाएं स्वावलंबी हों।* गोबर से हवन/शवदाह लकड़ी बनने लगे।
3) युवाओं/मातृशक्ति को प्रतिदिन गौशाला आने प्रेरित किया जाये, उनको गौशाला प्रबंधन का दायित्व दिया जाये। बुजुर्ग, वृद्धाश्रम बना वहीं रहें, जप-तप, मार्गदर्शन+गोसेवा करें।
4) गौशाला की भूमि का सुंदरीकरण/सदुपयोग हो। लोग भ्रमण के लिए आने+पार्टियां करने लगें। भूमि की बाउंड्री कर उसमे पेड़, सब्जी, अन्न और घास की खेती हो। आचार्य संजय पंडा 9437580589 से 100 वर्ग फुट में 10000 प्रतिमाह कमाने की कला सीखी जाये।
5) दूध बेचना बंद हो। घी और छाछ बने। छाछ, अतिथियों, छात्रों, बछड़ों, गौ को पिलायी जाये।
6) गौशाला में पंचकुल खुले गोकुल, गुरूकुल, ऋषिकुल (यज्ञशाला) कृषि कुल=वृक्षारोपण, खेती, आरोग्यकुल=अस्पताल, कल्याण मंडप (हाल+कमरे) सप्त गौ परिक्रमा=गौ मंदिर बने। सम्मेलन / समारोह / किसान प्रशिक्षण हो।
7) भोजनालय बने, जिसमे कर्मचारी, छात्रों अतिथियों का भोजन बने।
8) गोबर गैस प्लांट बने। इतनी गैस बने कि आसपास के वाहन उसी गैस से चलें।
9) *गौशाला, मठ-मंदिरों में बंसी/मंत्रों की ध्वनि गूंजे। संत वचन+गौचित्रों के बैनर लगें। हनुमान चालीसा और विश्व गीत का पाठ हो।*
10) गाईड, बैलगाड़ी से गौशाला के सारे स्थान दिखाये। गौ माँ का महत्व भी बताये। किसानों को युवा बैल जोड़ी/गाड़ी किराये पर दी जाये।ईरिक्शा हेतु बैलों की शक्ति से बैटरी चार्ज हो।
11) पंच तत्व शुद्धि का काम सब करें+करायें।
12) गौभक्त 1 गौ से मां का संबंध बनायें।
14) आगंतुकों को गौमूत्र / पंचगब्य पिलायें।
15) गौघट(गुल्लक) धर-दफ्तर-दुकानों में लगें।
16) खाद के बदले भूंसा कार्यक्रम चले।
*जो गौशाला का कायाकल्प करना चाहते हों उन्हें स्वयं कुछ गौशालाओं में जाकर अपनी आंखों से देखना+सीखना चाहिए जैसे पथमेढा गौशाला, सांचौर, जलगांव की अहिंसा तीर्थ, हिसार के पास श्री लाड़वा गौशाला, कोल्हापुर के पास कनेरी मठ गौशाला, शिमोगा में श्री रामचंद्रपुर मठ गौशाला (गौकर्ण तीर्थ), माताजी गौशाला, बरसाना, कलकत्ता पिंजरापोल, चाकुलिया।* गोबर-गौमूत्र संबंधी राजीव भाई के यूट्यूब में व्याख्यान भी सुने।
इन कार्यों को करने के लिए थोड़ा बहुत धन भी लगेगा। कुछ गौशालाओं के पास पहले से काफी फिक्स्ड डिपॉजिट है जिसका सदुपयोग हो। कुछ धन विदेसी पशु को बेच कर, कुछ गौ/भागवत कथा का आयोजन कर, कुछ नया चंदा, युवा टीम एकत्र कर लेगी। जहां चाह वहां राह। *सभी गौशालाएं स्वावलंबी और टकसाल बने। इसी शुभकामना के साथ।*
सुदर्शन ढंढारिया 8240953884
*राष्ट्रीय अहिंसा मंच (राम)*
बार्डर मैटर
"मैं गौरक्षक 'राम' को वोट दूंगा" संकल्प लें + दिलायें। इस मंत्र का जप करें।
'राम' के पास राम राज्य की परिभाषा और रोड मैप तैयार है। उसे जानें।
जलामृत डाल जल तत्व, नवग्रह धूप चेतन कर वायु और पृथ्वी तत्व, बलिवैश्वदेव हवन कर अग्नि और आकाश तत्व शुद्ध करें।
"जिस राष्ट्र में गौ माँ सुखी +सुरक्षित है, उस देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है।" - भीष्म पितामह, शांति पर्व, महाभारत।
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